कार्यक्रम के विषय

इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूलों को यहाँ दिए गए तीन विषयों में से किसी एक विषय पर या दो अथवा सभी विषयों पर कार्य करने के लिए आमंत्रित करता है । अधिक जानकारी के लिए चुने गए विषय की पुस्तिका को डाउनलोड करें।

जल एवं सस्टेनेबिलिटी
जल और जैव विविधता समस्त जीवन का आधार हैं। हम पानी की जरूरत लगभग हमारे सभी काम में होती हैं। पृथ्वी पर पानी की एक निश्चित मात्रा हैं, जिसमें ताजे पानी का हिस्सा मात्र 3% हैं। आप पहले से ही यह सब जानते हैं। आप शायद यह भी जानते होंगे कि दुनिया भर में हर किसी को पानी की समस्या का किसी एक या अन्य रूप में सामना करना पड़ रहा है उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ अभूतपूर्व है, लेकिन इससे भी अधिक देश के कई भागों में बाढ़ एक आवर्ती घटना है जबकि कई अन्य भाग सूखा ग्रस्त हैं। कुछ स्थानों में, समस्या दूषित जल स्रोतों की हो सकती है। कहीं और, यह बहुत अधिक पानी की कीमतों की हो सकती है। कुछ स्थानों में, पानी बिलकुल नहीं है और लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर की दूरी चलना पड़ता है। अन्य जगहों पर, यह एक अव्यवस्थित और असमान पानी वितरण की समस्या हो सकती है । हमारी झीले प्रदूषित हो रहीं हैं और सूख रहीं हैं, खुले कुओं की संख्या तेजी से कम हो रहीं हैं, देश भर में सभी जगहों पर भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहीं हैं । निस्संदेह, इस स्थिति के लिए कोई त्वरित समाधान उपलब्ध नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि कहाँ से शुरू करें। एक बात हम ऐसी स्थिति में यह कर सकते है कि पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सीखने से शुरुआत कर सकते है। अर्थियन गतिविधियां हमारे इलाके में पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए तैयार कि गई हैं –हमारे स्कूलों के साथ शुरू करने के लिए – और इसे पारिस्थितिकी और समाज के अन्य पहलुओं के साथ जोड़कर समझते हुएं और साथ ही वैश्विक संदर्भ के साथ इसे जोड़ने से ।

जैवविविधता एवं सस्टेनेबिलिटी
पृथ्वी को ‘लिविंग प्लैनेट’ अथवा ऐसे ग्रह के रूप में जाना जाता है जिसपर जीवन फल-फूल रहा है। इस अनोखे ग्रह पर जीवन की विविधता यानी जैवविविधता पायी जाती है। जल की उपस्थिति जहां पृथ्वी को नीले ग्रह का नाम देती है वहीं जैवविविधता के कारण उसे लिविंग प्लैनेट कहा जाता है। जैवविविधता का हमारे जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। पृथ्वी और जीवों के बीच का जटिल सम्बन्ध पारिस्थितिक तन्त्र बनाता है जो परिवर्तित होता रहता है। इन सम्बन्धो को जीवनजाल कहते हैं जो ध्यान से देखने पर समझ में आता है। असंख्य जीव जिनमें से कई ऐसे जीव भी है जिनपर किसी का ध्यान नहीं गया और जो अपने जीवन जीने के तरीके के कारण पृथ्वी पर विभिन्न सेवायें प्रदान करते है। उनकी उपस्थिति पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य एवं जीवन की विविधता को बनाये रखने में अनिवार्य है। अतः सस्टेनेबिलिटी एवं जैवविविधता में बेहद जटिल सम्बन्ध है। किसी एक भी ताने बाने का यदि तार टूटा तो उसका असर कैसा होगा?


कचरा और सस्टेनेबिलिटी
हम प्रतिदिन जीने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग करते हैं और कचरा उत्पन्न करते हैं । भारत में, प्रतिवर्ष लगभग 620 लाख टन कचरा निकलता है। ऐसा अनुमान है कि 2047 तक इसकी मात्रा बढ़ जाएगी जिसके लिए 1400 वर्ग किमी के भू-भराव क्षेत्र की आवश्यकता होगी। हम ऐसा मानते हैं कि कचरा ऐसा कुछ है जो संसाधन नहीं है और जिसे फेंक दिया जाना चाहिए । कचरे के बारे में हमारी इसी समझ की कमी के कारण पर्यावरण पर बेहद विनाशकारी प्रभाव हो रहें हैं । इन प्रश्नों के उत्तर देने पर हमें कचरे के बारे में न केवल सीखने में मदद मिलेगी बल्कि उसे कैसे संभालना है यह भी समझ बनेगी। इस कार्यक्रम में भाग लेने के द्वारा, विद्यार्थी कचरे के बारे में, उसके प्रभावों और संभावित समाधानों की बहुत सी जानकारी के बारे में जानेगें ।

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