अर्थियन एवं पर्यावरण मित्र  2018 के टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा कार्यक्रमों में भागीदारी करने के लिए आप आमंत्रित हैं।

कार्यक्रम  के बारे में

 

Teachers Training Presentation 2018

 
   
 

Earthian Report 2017

 

   
 

Programme Brochure

 

   
 

Programme Booklet

 
   
 
   
 
   
   
   
 

Activity Materials_Biodiversity

 
   
   

अर्थियन एक सस्टेनेबिलिटी शिक्षण कार्यक्रम है जिसे सी.ई.ई के पर्यावरण मित्र परियोजना के साथ साझा सहयोग से लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपके विद्यालय में अधिक अर्थपूर्ण सस्टेनेबिलिटी शिक्षण, विषय के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना और जीवन व शिक्षा के विभिन्न अन्र्तसंबंधों की समझ को विकसित करना है। यह विद्यालयों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने जीवन  और समाज को और अधिक जानने में मदद करेगा।

राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा। पुरस्कृत स्कूल अगले तीन वर्षों तक लगातार इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे। लम्बे समय तक कार्यक्रम से जुड़े रहने का उद्देश्य स्कूलों व उनके पाठ्यक्रम के द्वारा उनके छात्रों को टिकाऊ विकास की चुनौतियों को समझने व उनसे निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने की क्षमता विकसित करना है।


जल एवं  सस्टेनेबिलिटी

जल और जैव विविधता समस्त जीवन का आधार हैं। हम पानी की जरूरत लगभग हमारे सभी काम में होती हैं। पृथ्वी पर पानी की एक निश्चित मात्रा हैं, जिसमें ताजे पानी का हिस्सा मात्र 3% हैं। आप पहले से ही यह सब जानते हैं। आप शायद यह भी जानते होंगे कि दुनिया भर में हर किसी को पानी की समस्या का किसी एक या अन्य रूप में सामना करना पड़ रहा है उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ अभूतपूर्व है, लेकिन इससे भी अधिक देश के कई भागों में बाढ़ एक आवर्ती घटना है जबकि कई अन्य भाग सूखा ग्रस्त हैं। कुछ स्थानों में,  समस्या दूषित जल स्रोतों की हो सकती है। कहीं और, यह बहुत अधिक पानी की कीमतों की हो सकती है। कुछ स्थानों में, पानी बिलकुल नहीं है और लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर की दूरी चलना पड़ता है। अन्य जगहों पर, यह एक अव्यवस्थित और असमान पानी वितरण की समस्या हो सकती है । हमारी  झीले प्रदूषित  हो रहीं हैं और सूख रहीं हैं, खुले कुओं की संख्या तेजी से कम हो रहीं हैं,  देश भर में सभी जगहों पर भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहीं हैं । निस्संदेह, इस स्थिति के लिए कोई त्वरित समाधान उपलब्ध नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि कहाँ से शुरू करें। एक बात हम ऐसी स्थिति में यह कर सकते है कि पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सीखने से शुरुआत कर सकते है। अर्थियन गतिविधियां  हमारे इलाके में पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए तैयार कि गई हैं –हमारे स्कूलों के साथ शुरू करने के लिए – और इसे पारिस्थितिकी और समाज के अन्य पहलुओं के साथ जोड़कर समझते हुएं  और साथ ही वैश्विक संदर्भ के साथ इसे जोड़ने से ।

 

जैवविविधता एवं  सस्टेनेबिलिटी

पृथ्वी को ‘लिविंग प्लैनेट’ अथवा ऐसे ग्रह के रूप में जाना जाता है जिसपर जीवन फल-फूल रहा है। इस अनोखे ग्रह पर जीवन की विविधता यानी जैवविविधता पायी जाती है। जल की उपस्थिति जहां पृथ्वी को नीले ग्रह का नाम देती है वहीं जैवविविधता के कारण उसे लिविंग प्लैनेट कहा जाता है। जैवविविधता का हमारे जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। पृथ्वी और जीवों के बीच का जटिल सम्बन्ध पारिस्थितिक तन्त्र बनाता है जो परिवर्तित होता रहता है। इन सम्बन्धो को जीवनजाल कहते हैं जो ध्यान से देखने पर समझ में आता है। असंख्य जीव जिनमें से कई ऐसे जीव भी है जिनपर किसी का ध्यान नहीं गया और जो अपने जीवन जीने के तरीके के कारण पृथ्वी पर विभिन्न सेवायें प्रदान करते है। उनकी उपस्थिति पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य एवं जीवन की विविधता को बनाये रखने में अनिवार्य है। अतः सस्टेनेबिलिटी एवं जैवविविधता में बेहद जटिल सम्बन्ध है। किसी एक भी ताने बाने का यदि तार टूटा तो उसका असर कैसा होगा?

कार्यक्रम में कैसे भाग लें

•    अर्थियन कार्यक्रम भारत के सभी स्कूलों के कक्षा  7-12 के छात्रों के लिए है।
•    प्रत्येक स्कूल से एक से अधिक टीमें इस कार्यक्रम में भाग ले सकती हैं।
•    प्रत्येक टीम के साथ एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, परन्तु इसका मुख्य प्रतिनिधित्व विद्यार्थी ही करेंगे।
•    गतिविधियों की रिपोर्टिंग हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
•    स्कूलों का पुरस्कार के लिए चयन उनके द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा।
•    कार्यक्रम के भाग ए की पांच अनिवार्य तथा 2 चयनात्मक गतिविधियां और भाग बी के निबंध को पूर्ण रूप से करने पर ही रिपोर्ट को चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
•    रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2018 है।
•    यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2018  के लिए मान्य होगी।

रिपोर्ट के बारे में

•    रिपोर्ट अंग्रेजी या हिन्दी में जमा की जा सकती है। 
•    रिपोर्ट बनाने हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
•    रिपोर्ट में रचनात्मकता तथा विभिन्न प्रारूपों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
•    रिपोर्ट को 31 अक्टूबर 2018 के पहले डाक द्वारा अथवा ई मेल द्वारा भेजा जा सकता है।
•    ईमेल के द्वारा भेजी जाने वाली रिपोर्ट word or pdf ( file size limit 2 mb) फाइल हो सकती है जिसके साथ केवल एक संलग्नक लगाया जा सकता है। संलग्नक के रूप में प्रस्तुतिकरण, विडियो आदि भेजा जा सकता है जिसे यू-ट्यूब अथवा यू सेन्ड इट के द्वारा लिंक भी दिया जा सकता है। 
•    राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु मूल्यांकन मापदण्ड के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा।
•    यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2018 के लिए मान्य होगी। 

 मूल्यांकन मापदण्ड 

•    रिपोर्ट में दिखाई गयी गतिविधियों को पूरा करने में यथार्थता तथा गतिविधियों से जुड़े आंकड़ो का संकलन और दूसरे प्रमाणों की उपलब्धता।
•    गतिविधियों की रिपोर्टिंग में व्यापकता और रचनात्मकता एवं विभिन्न मुद्दों को देखने और उन्हें जोड़ने की योग्यता।
•    आंकड़ों के प्रस्तुतिकरण के अतिरिक्त रिपोर्ट मंे दिखायी गई समस्या की सही समझ।
•    दूसरे अन्य मुद्दों से जोड़कर टिकाऊ विकास को कैसे समझा गया है।
•    क्या आपने भाग बी में लिए गए मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को समझा है। इसे सोचें और सही तरीके से प्रस्तुत करें।
(उपरोक्त मानदण्ड केवल सूचक है व्यापक मापदण्ड नहीं। आप अपने ज्ञान और क्षमता के अनुसार व्यापक सोच के साथ कार्य करें व रिपोर्ट जमा करें।)

 

 


 

‘Wipro Earthian 2017 ', Congratulations to Winning Teams!


‘Earthian’ is nationwide initiative of wipro to deepen the sustainability education within schools and colleges across the country. Paryavaran Mitra is partnering the programme to strengthen the active pedagogy in schools across the country.

The  programme aims to engage teams of students and faculties from schools in a set of activities to understand water and biodiversity themes in their local context and explore sustainability linkages.

The exemplar efforts from schools are recognized this year and six schools from CEE network successfully made it to the award.
This year, Schools across the country took active participation in the program and showed enthusiastic efforts towards sustainability education. Through the themes of water and biodiversity, teams of students and faculties from schools got engaged in a set of activities to understand this in their local context and explore sustainability linkages. In the water theme, water flow, wastage and quality on campus was studied in great detail by students. Plantation, bird nesting, understanding the local biodiversity, maintaining biodiversity registers were popular in the biodiversity theme. A total of 552 entries were received from schools for the award.

Winners at national level from Paryavaran Mitra network: 2017

 


 

अर्थियन एवं पर्यावरण मित्र  2017 के टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा कार्यक्रमों में भागीदारी करने के लिए आप आमंत्रित हैं।

कार्यक्रम  के बारे में

 

Earthian Report 2017

 

   
 

Programme Brochure

 

   
 

Programme Booklet

 
   
 
   
 
   
 
   
 

Activity Materials_Biodiversity

 
   
   

अर्थियन एक सस्टेनेबिलिटी शिक्षण कार्यक्रम है जिसे सी.ई.ई के पर्यावरण मित्र परियोजना के साथ साझा सहयोग से लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपके विद्यालय में अधिक अर्थपूर्ण सस्टेनेबिलिटी शिक्षण, विषय के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना और जीवन व शिक्षा के विभिन्न अन्र्तसंबंधों की समझ को विकसित करना है। यह विद्यालयों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने जीवन  और समाज को और अधिक जानने में मदद करेगा।

राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा। पुरस्कृत स्कूल अगले तीन वर्षों तक लगातार इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे। लम्बे समय तक कार्यक्रम से जुड़े रहने का उद्देश्य स्कूलों व उनके पाठ्यक्रम के द्वारा उनके छात्रों को टिकाऊ विकास की चुनौतियों को समझने व उनसे निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने की क्षमता विकसित करना है।


जल एवं  सस्टेनेबिलिटी

जल और जैव विविधता समस्त जीवन का आधार हैं। हम पानी की जरूरत लगभग हमारे सभी काम में होती हैं। पृथ्वी पर पानी की एक निश्चित मात्रा हैं, जिसमें ताजे पानी का हिस्सा मात्र 3% हैं। आप पहले से ही यह सब जानते हैं। आप शायद यह भी जानते होंगे कि दुनिया भर में हर किसी को पानी की समस्या का किसी एक या अन्य रूप में सामना करना पड़ रहा है उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ अभूतपूर्व है, लेकिन इससे भी अधिक देश के कई भागों में बाढ़ एक आवर्ती घटना है जबकि कई अन्य भाग सूखा ग्रस्त हैं। कुछ स्थानों में,  समस्या दूषित जल स्रोतों की हो सकती है। कहीं और, यह बहुत अधिक पानी की कीमतों की हो सकती है। कुछ स्थानों में, पानी बिलकुल नहीं है और लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर की दूरी चलना पड़ता है। अन्य जगहों पर, यह एक अव्यवस्थित और असमान पानी वितरण की समस्या हो सकती है । हमारी  झीले प्रदूषित  हो रहीं हैं और सूख रहीं हैं, खुले कुओं की संख्या तेजी से कम हो रहीं हैं,  देश भर में सभी जगहों पर भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहीं हैं । निस्संदेह, इस स्थिति के लिए कोई त्वरित समाधान उपलब्ध नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि कहाँ से शुरू करें। एक बात हम ऐसी स्थिति में यह कर सकते है कि पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सीखने से शुरुआत कर सकते है। अर्थियन गतिविधियां  हमारे इलाके में पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए तैयार कि गई हैं –हमारे स्कूलों के साथ शुरू करने के लिए – और इसे पारिस्थितिकी और समाज के अन्य पहलुओं के साथ जोड़कर समझते हुएं  और साथ ही वैश्विक संदर्भ के साथ इसे जोड़ने से ।

 

जैवविविधता एवं  सस्टेनेबिलिटी

पृथ्वी को ‘लिविंग प्लैनेट’ अथवा ऐसे ग्रह के रूप में जाना जाता है जिसपर जीवन फल-फूल रहा है। इस अनोखे ग्रह पर जीवन की विविधता यानी जैवविविधता पायी जाती है। जल की उपस्थिति जहां पृथ्वी को नीले ग्रह का नाम देती है वहीं जैवविविधता के कारण उसे लिविंग प्लैनेट कहा जाता है। जैवविविधता का हमारे जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। पृथ्वी और जीवों के बीच का जटिल सम्बन्ध पारिस्थितिक तन्त्र बनाता है जो परिवर्तित होता रहता है। इन सम्बन्धो को जीवनजाल कहते हैं जो ध्यान से देखने पर समझ में आता है। असंख्य जीव जिनमें से कई ऐसे जीव भी है जिनपर किसी का ध्यान नहीं गया और जो अपने जीवन जीने के तरीके के कारण पृथ्वी पर विभिन्न सेवायें प्रदान करते है। उनकी उपस्थिति पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य एवं जीवन की विविधता को बनाये रखने में अनिवार्य है। अतः सस्टेनेबिलिटी एवं जैवविविधता में बेहद जटिल सम्बन्ध है। किसी एक भी ताने बाने का यदि तार टूटा तो उसका असर कैसा होगा?

कार्यक्रम में कैसे भाग लें

•    अर्थियन कार्यक्रम भारत के सभी स्कूलों के कक्षा  7-12 के छात्रों के लिए है।
•    प्रत्येक स्कूल से एक से अधिक टीमें इस कार्यक्रम में भाग ले सकती हैं।
•    प्रत्येक टीम के साथ एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, परन्तु इसका मुख्य प्रतिनिधित्व विद्यार्थी ही करेंगे।
•    गतिविधियों की रिपोर्टिंग हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
•    स्कूलों का पुरस्कार के लिए चयन उनके द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा।
•    कार्यक्रम के भाग ए की पांच अनिवार्य तथा 2 चयनात्मक गतिविधियां और भाग बी के निबंध को पूर्ण रूप से करने पर ही रिपोर्ट को चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
•    रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2017 है।
•    यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2017  के लिए मान्य होगी।

रिपोर्ट के बारे में

•    रिपोर्ट अंग्रेजी या हिन्दी में जमा की जा सकती है। 
•    रिपोर्ट बनाने हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
•    रिपोर्ट में रचनात्मकता तथा विभिन्न प्रारूपों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
•    रिपोर्ट को 31 अक्टूबर 2017 के पहले डाक द्वारा अथवा ई मेल द्वारा भेजा जा सकता है।
•    ईमेल के द्वारा भेजी जाने वाली रिपोर्ट word or pdf ( file size limit 2 mb) फाइल हो सकती है जिसके साथ केवल एक संलग्नक लगाया जा सकता है। संलग्नक के रूप में प्रस्तुतिकरण, विडियो आदि भेजा जा सकता है जिसे यू-ट्यूब अथवा यू सेन्ड इट के द्वारा लिंक भी दिया जा सकता है। 
•    राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु मूल्यांकन मापदण्ड के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा।
•    यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2017 के लिए मान्य होगी। 

 मूल्यांकन मापदण्ड 

•    रिपोर्ट में दिखाई गयी गतिविधियों को पूरा करने में यथार्थता तथा गतिविधियों से जुड़े आंकड़ो का संकलन और दूसरे प्रमाणों की उपलब्धता।
•    गतिविधियों की रिपोर्टिंग में व्यापकता और रचनात्मकता एवं विभिन्न मुद्दों को देखने और उन्हें जोड़ने की योग्यता।
•    आंकड़ों के प्रस्तुतिकरण के अतिरिक्त रिपोर्ट मंे दिखायी गई समस्या की सही समझ।
•    दूसरे अन्य मुद्दों से जोड़कर टिकाऊ विकास को कैसे समझा गया है।
•    क्या आपने भाग बी में लिए गए मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को समझा है। इसे सोचें और सही तरीके से प्रस्तुत करें।
(उपरोक्त मानदण्ड केवल सूचक है व्यापक मापदण्ड नहीं। आप अपने ज्ञान और क्षमता के अनुसार व्यापक सोच के साथ कार्य करें व रिपोर्ट जमा करें।)

   
 

 

अर्थियन एवं पर्यावरण मित्र 2016 के टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा कार्यक्रमों में भागीदारी करने के लिए आप आमंत्रित हैं।

 

 

 

Programme Brochure

 
 
 

Programme Booklet

 
 


 
 

Activity Materials_Biodiversity

 

Resource material

 

Glimpses

कार्यक्रम  के बारे में

अर्थियन एक सस्टेनेबिलिटी शिक्षण कार्यक्रम है जिसे सी.ई.ई के पर्यावरण मित्र परियोजना के साथ साझा सहयोग से लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपके विद्यालय में अधिक अर्थपूर्ण सस्टेनेबिलिटी शिक्षण, विषय के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना और जीवन व शिक्षा के विभिन्न अन्र्तसंबंधों की समझ को विकसित करना है। यह विद्यालयों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने जीवन  और समाज को और अधिक जानने में मदद करेगा।

राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा। पुरस्कृत स्कूल अगले तीन वर्षों तक लगातार इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे। लम्बे समय तक कार्यक्रम से जुड़े रहने का उद्देश्य स्कूलों व उनके पाठ्यक्रम के द्वारा उनके छात्रों को टिकाऊ विकास की चुनौतियों को समझने व उनसे निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने की क्षमता विकसित करना है।

जल और जैव विविधता समस्त जीवन का आधार हैं। हमें पानी की जरूरत लगभग हमारे सभी कामों में होती हैं। पृथ्वी पर पानी की एक निश्चित मात्रा हैं, जिसमें ताजे पानी का हिस्सा मात्र 3% हैं। आप पहले से ही यह सब जानते हैं। आप शायद यह भी जानते होंगे कि दुनिया भर में हर किसी को पानी की समस्या का किसी एक या अन्य रूप में सामना करना पड़ रहा है उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ अभूतपूर्व है, लेकिन इससे भी अधिक देश के कई भागों में बाढ़ एक आवर्ती घटना है जबकि कई अन्य भाग सूखा ग्रस्त हैं। कुछ स्थानों में,  समस्या दूषित जल स्रोतों की हो सकती है। कहीं और, यह बहुत अधिक पानी की कीमतों की हो सकती है। कुछ स्थानों में, पानी बिलकुल नहीं है और लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर की दूरी चलना पड़ता है। अन्य जगहों पर, यह एक अव्यवस्थित और असमान पानी वितरण की समस्या हो सकती है । हमारी  झीले प्रदूषित  हो रहीं हैं और सूख रहीं हैं, खुले कुओं की संख्या तेजी से कम हो रहीं हैं,  देश भर में सभी जगहों पर भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहीं हैं । निस्संदेह, इस स्थिति के लिए कोई त्वरित समाधान उपलब्ध नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि कहाँ से शुरू करें। एक बात हम ऐसी स्थिति में यह कर सकते है कि पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सीखने से शुरुआत कर सकते है। अर्थियन गतिविधियां  हमारे इलाके में पानी के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए तैयार कि गई हैं –हमारे स्कूलों के साथ शुरू करने के लिए – और इसे पारिस्थितिकी और समाज के अन्य पहलुओं के साथ जोड़कर समझते हुएं  और साथ ही वैश्विक संदर्भ के साथ इसे जोड़ने से ।

 

कार्यक्रम में कैसे भाग लें

•    अर्थियन कार्यक्रम भारत के सभी स्कूलों के कक्षा  7-12 के छात्रों के लिए है।
•    प्रत्येक स्कूल से एक से अधिक टीमें इस कार्यक्रम में भाग ले सकती हैं।
•    प्रत्येक टीम के साथ एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, परन्तु इसका मुख्य प्रतिनिधित्व विद्यार्थी ही करेंगे।
•    गतिविधियों की रिपोर्टिंग हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
•    स्कूलों का पुरस्कार के लिए चयन उनके द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा।
•    कार्यक्रम के भाग ए की पांच अनिवार्य तथा 2 चयनात्मक गतिविधियां और भाग बी के निबंध को पूर्ण रूप से करने पर ही रिपोर्ट को चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
•    रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2016 है।
•    यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2016 के लिए मान्य होगी।

रिपोर्ट के बारे में

•    रिपोर्ट अंग्रेजी या हिन्दी में जमा की जा सकती है। 
•    रिपोर्ट बनाने हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
•    रिपोर्ट में रचनात्मकता तथा विभिन्न प्रारूपों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
•    रिपोर्ट को 31 अक्टूबर 2016 के पहले डाक द्वारा अथवा ई मेल द्वारा भेजा जा सकता है।
•    ईमेल के द्वारा भेजी जाने वाली रिपोर्ट word or pdf ( file size limit 2 mb) फाइल हो सकती है जिसके साथ केवल एक संलग्नक लगाया जा सकता है। संलग्नक के रूप में प्रस्तुतिकरण, विडियो आदि भेजा जा सकता है जिसे यू-ट्यूब अथवा यू सेन्ड इट के द्वारा लिंक भी दिया जा सकता है। 
•    राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु मूल्यांकन मापदण्ड के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा।
•    यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2016 के लिए मान्य होगी। 

 मूल्यांकन मापदण्ड 

•    रिपोर्ट में दिखाई गयी गतिविधियों को पूरा करने में यथार्थता तथा गतिविधियों से जुड़े आंकड़ो का संकलन और दूसरे प्रमाणों की उपलब्धता।
•    गतिविधियों की रिपोर्टिंग में व्यापकता और रचनात्मकता एवं विभिन्न मुद्दों को देखने और उन्हें जोड़ने की योग्यता।
•    आंकड़ों के प्रस्तुतिकरण के अतिरिक्त रिपोर्ट मंे दिखायी गई समस्या की सही समझ।
•    दूसरे अन्य मुद्दों से जोड़कर टिकाऊ विकास को कैसे समझा गया है।
•    क्या आपने भाग बी में लिए गए मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को समझा है। इसे सोचें और सही तरीके से प्रस्तुत करें।
(उपरोक्त मानदण्ड केवल सूचक है व्यापक मापदण्ड नहीं। आप अपने ज्ञान और क्षमता के अनुसार व्यापक सोच के साथ कार्य करें व रिपोर्ट जमा करें।)

 

 

 

 

अर्थियन एवं पर्यावरण मित्र 2015 के टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा कार्यक्रमों में भागीदारी करने के लिए आप आमंत्रित हैं।

 

 

 

कार्यक्रम  के बारे में

About the Programme

 
 
 

Programme Booklet

 
 

Programme Brochure

 
 

Resource material

 

Glimpses

अर्थियन एक सस्टेनेबिलिटी शिक्षण कार्यक्रम है जिसे सी.ई.ई के पर्यावरण मित्र परियोजना के साथ साझा सहयोग से लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपके विद्यालय में अधिक अर्थपूर्ण सस्टेनेबिलिटी शिक्षण ,विषय के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना और जीवन व शिक्षा के विभिन्न अन्र्तसंबंधों की समझ को विकसित करना है। यह विद्यालयों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने जीवन  और समाज को और अधिक जानने में मदद करेगा।
राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा। पुरस्कृत स्कूल अगले तीन वर्षों तक लगातार इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे। लम्बे समय तक कार्यक्रम से जुड़े रहने का उद्देश्य स्कूलों व उनके पाठ्यक्रम के द्वारा उनके छात्रों को टिकाऊ विकास की चुनौतियों को समझने व उनसे निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने की क्षमता विकसित करना है।


कार्यक्रम में कैसे भाग लें

  • अर्थियन कार्यक्रम भारत के सभी स्कूलों के कक्षा  7-12 के छात्रों के लिए है।
  • प्रत्येक स्कूल से एक से अधिक टीमें इस कार्यक्रम में भाग ले सकती हैं।
  • प्रत्येक टीम के साथ एक शिक्षक का होना अनिवार्य है, परन्तु इसका मुख्य प्रतिनिधित्व विद्यार्थी ही करेंगे।
  • गतिविधियों की रिपोर्टिंग हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
  • स्कूलों का पुरस्कार के लिए चयन उनके द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा।
  • कार्यक्रम के भाग ए की पांच अनिवार्य तथा 2 चयनात्मक गतिविधियां और भाग बी के निबंध को पूर्ण रूप से करने पर ही रिपोर्ट को चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
  • रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2015 है।
  • यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2015 के लिए मान्य होगी।

 रिपोर्ट के बारे में

  • रिपोर्ट अंग्रेजी या हिन्दी में जमा की जा सकती है। 
  • रिपोर्ट बनाने हेतु सुझाव कार्यक्रम विवरणिका (ब्रोषर) और गतिविधि पुस्तक में दिए गए हैं।
  • रिपोर्ट में रचनात्मकता तथा विभिन्न प्रारूपों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
  • रिपोर्ट को 31 अक्टूबर 2015 के पहले डाक द्वारा अथवा ई मेल द्वारा भेजा जा सकता है।
  • ईमेल के द्वारा भेजी जाने वाली रिपोर्ट word or pdf ( file size limit 2 mb) फाइल हो सकती है जिसके साथ केवल एक संलग्नक लगाया जा सकता है। संलग्नक के रूप में प्रस्तुतिकरण, विडियो आदि भेजा जा सकता है जिसे यू-ट्यूब अथवा यू सेन्ड इट के द्वारा लिंक भी दिया जा सकता है। 
  • राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन पुरस्कार हेतु मूल्यांकन मापदण्ड के आधार पर 10 सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टों को चयनित किया जाएगा।
  • यह रिपोर्ट विषय जल अंतर्गत पर्यावरण मित्र पुरस्कार  2015 के लिए मान्य होगी। 

मूल्यांकन मापदण्ड 

  • रिपोर्ट में दिखाई गयी गतिविधियों को पूरा करने में यथार्थता तथा गतिविधियों से जुड़े आंकड़ो का संकलन और दूसरे प्रमाणों की उपलब्धता।
  • गतिविधियों की रिपोर्टिंग में व्यापकता और रचनात्मकता एवं विभिन्न मुद्दों को देखने और उन्हें जोड़ने की योग्यता।
  • आंकड़ों के प्रस्तुतिकरण के अतिरिक्त रिपोर्ट मंे दिखायी गई समस्या की सही समझ।
  • दूसरे अन्य मुद्दों से जोड़कर टिकाऊ विकास को कैसे समझा गया है।
  • क्या आपने भाग बी में लिए गए मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को समझा है। इसे सोचें और सही तरीके से प्रस्तुत करें।
(उपरोक्त मानदण्ड केवल सूचक है व्यापक मापदण्ड नहीं। आप अपने ज्ञान और क्षमता के अनुसार व्यापक सोच के साथ कार्य करें व रिपोर्ट जमा करें।)

For queries please contact

ParyavaranMitra Progrogramme Secretariat
Centre for Environment Education (CEE)
Nehru Foundation for Development
Thaltej Tekra, Bodekdev,
Ahmedbad-380054, Gujarat
Phone:   +91-79-26844824/25
Email:paryavaranmitra@ceeindia.org

 

Paryavaran Saathi
Phone:  1800-3000-0996 (toll free)
Email: paryavaransaathi@ceeindia.org

 

 

 

'Sharing teacher's experiences from Earthian in Gujarat'

 
Ms. Geetika Saluja   Ms. Rati Agarwal

We share with you insights from two Paryavaran Mitra teachers from Ahmedabad who have done exemplary work in integrating EE and ESD in the curriculum and introduced sustainability as a way of life in the school community. Ms. Geetika Saluja (Reoprt) from St. Kabir Naranpura and Ms. Rati Agarwal (Report) of Rachana School Shahibaug tell us about how they convinced their school management, taught through curriculum linked activities and action projects, and their own learnings in their process. Access their interviews by clicking on their names, the media coverage of their schools’ work here and here.

 


 

 

 www.wipro.org/earthian

Award announced for 2014

CEE Paryavaran Mitra Programme partnered with WIPRO ‘earthian’ initiative in the water theme. The programme aimed to develop a better understanding of issues related to water and sustainability through project-based learning in schools. This program requires a common set of activities to be done by students related to water trail, quantity, quality, demand and conservation in their immediate environment.  Result has been declared for 2014. Please click http://wipro.org/earthian/school-2014-winners.php for list of winner schools.

Teacher’s Training Workshop in Rajasthan

To develop an understanding among teachers about environmental education and its curriculum linkage, CEE Jaipur organised training programmes for 'earthian' under Paryavaran Mitra programme.  One day teachers training workshop was organised at division level in all seven administrative divisions. 180 teachers attended these division level training programmes organised at in Bikaner, Bhilwara, Jaipur, Jodhpur, Kota, Sawai Madhopur, and Udaipur. Three teachers training workshops were organised at district level. 286 teachers participated in district level teachers training workshops at Jaipur, Sikar and

Sirohi. These training workshop included session on project based learning and action ideas as curricular projects in context with state text books that can be done within school and community. The training was facilitated via various interactive and experience based teaching learning methods like games and demonstrations. Discussion on documentation and reporting for these activities was also held during the programme. Thus a total of 466 teachers have been benefitted through the training programmes in Rajasthan.
 


2013 awards announced.

CEE Paryavaran Mitra Programme partnered with WIPRO ‘earthian’ initiative in the water theme. The campaign had an outreach of more than 7000 schools in the states of Rajastan, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh and Bihar. The jury round has just concluded and 7 Paryavaran Mitra Schools have made it to the Top 19 schools list selected for the awards for 2013. (Final report)

  

Teacher Orientation Workshops in Uttar Pradesh, Rajasthan and Chattisgarh.

The objective of the workshops were to develop an understanding among teachers about environmental education, its curriculum linkage, components of 'earthian' and Paryavaran Mitra Puraskar and the role of schools in participating and implementing these programmes in their respective schools and communities.

 

Uttar Pradesh

Agra

A one day Teachers Training Workshop (TTW) was organized on 20 September 2013 at Queen Victoria Girls Inter College, Agra by Centre for Environment Education (CEE North) and Zindagi Foundation, Agra for the teacher in-charges of selected schools for the implementation of 'earthian' and Paryavaran Mitra Puraskar-2013. Around 17 teacher in-charges of 12 Paryavaran Mitra school attended the training.

Although group was small in Agra but all the teachers were very much interested to learn about Environmental Education and Education for sustainable development. Teachers participated in the workshop were mostly from the Agra city schools. Many of them first time attended such programme and were keen to learn about the various environmental issues. Teachers also suggested that this workshop should be of two days.



Allahabad

The Teachers Training Workshop (TTW) was organized on 25 September 2013 at K. P. Inter College, Allahabad by Centre for Environment Education (CEE North) and e-Pahel, for the teacher in-charges of selected schools for the implementation of 'earthian' and Paryavaran Mitra Puraskar-2013. Around 18 teacher in-charges of 15 Paryavaran Mitra school attended the training.  

Mr Prasanna ghosh, teacher from Anglo Bengali Inter College share his experience with CEE and appreciated CEE for organising such capacity building workshops for teachers. He told that it is because of CEE’s teaching he has develop his school as polythene free campus.

 

 

Meerut

In Meerut, the Teachers Training Workshop (TTW) was organized on 1 October 2013 at Meerut Seva Samaj auditorium by Centre for Environment Education (CEE North) and Bharat Udai Education Society, Meerut for the teacher in-charges of selected schools for the implementation of 'earthian' and Paryavaran Mitra Puraskar-2013. Around 35 teacher in-charges of 32 Paryavaran Mitra school attended the training.

Teachers showed interest about the issues related with water and environment conservation. Most of the teachers were able to relate it with their teaching curriculum. Teacher from Kasturba Gandhi Vidyalaya share that her school is already doing working for the water conservation in the school and have developed kitchen garden in the campus. Teachers were positive about earthian programme and were concerned about the issues related with water.  

 

Varanasi

In Varanasi, the one day Teachers Training Workshop (TTW) was organized on 26 September 2013 at Kashiraj Ashok Vatika Children Academy by Centre for Environment Education (CEE North) and Azad Welfare Society, Varanasi, for the teacher in-charges of selected schools for the implementation of 'earthian' and Paryavaran Mitra Puraskar-2013. Around 26 teacher in-charges of 22 Paryavaran Mitra school attended the training.

Participants were mostly from rural background of Ramnagar, Varanasi. Most of the teachers were interested to learn the issues related with Environment and water conservation. Teachers were concerned about issues related with weather pattern and climate change.

 

 

Rajasthan 

CEE Jaipur in collaboration with Rajasthan State Bharat Scouts and Guides organised training in seven districts of Rajasthan for Earthian Programme and Paryavaran Mitra Puraskar 2013. The programme included session on project based learning to capacity build the teachers for action projects within school and community. The training was facilitated via various interactive and experience based teaching learning methods like games and demonstrations. Action ideas related to themes of Paryavaran Mitra programme were also shared as curricular projects by integrating it with state text books. Discussion on documentation and reporting formats was also held during the programme. 247 teachers attended these programmes at Bhilwara, Bundi, Churu, Jaisalmer, Pali, Rajamand and Sirohi.

Bhilwara

Bundi

Churu

     
     

Jaisalmer

Pali

Rajsamand

     
     

Sirohi

   

 

 

Chattisgarh

Durg

The TTW was organized on 20 September 2013 with 42 school teachers from schools in Durg.

1) Teachers understood the entire process and the reporting format.

2) Teachers expressed concerns about getting students involved and send report before 15th November because of elections in the State.

3) The group activities to understand the programme were well appreciated by the teachers as they got a lot of inputs from their peers and they felt that this was a good educational method too.

 

 

Rajasthan

Connecting the dots to think systemically of the water around us

Under the Paryavaran Mitra-WIPRO 'earthian', Water and Sustainability Project, Govt. Upper Primary School, Beethan, Jalore, Rajastan has sent in this fascinating report of their learnings of the where, why, what, how of the water they use at school. Students have looked at where the water in the schools comes from, tested for water parameters like pH, sulphate, nitrate, fluoride, looked for wastage and calculated water loss due to leakages and finally looked at water conservation strategies.
 

 

 


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